Wednesday, 26 September 2007

कुछ लम्हे



  • वक्त के साथ तनहाई से दोस्ती हो गयी

हालत ने हात पकडा दिया

बेचारी क्या करती..

जिंदगी निभाती चली गयी...!!!




  • जिंदिगीको खयालोमे कुछ ऐसे देखा था

कभी फ़ुल तो कभी मोती पिरोया था

सामने जब आयी तो अलगही अंदाज था

बस एक बारही उसने पलट के देखा था!!!




  • जिंदगीको समझने से क्या होता था

काश एक बार अपनेही आखो मे झाका होता

जिंदगी वही मिल जाती उन चमकती दुनिया्में

जो सपने देखकर मस्त रह्ती है अपनी दुनिया में...!!!!




  • गम सहा न गया तो छलक पडी आखें..

सुख मे भी यही रवैय्या अपनाती है ये आखें

पता नही मै कब सिखुंगी सुख और दु:ख को

एकही पलडे में तोलना..!!!





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