- वक्त के साथ तनहाई से दोस्ती हो गयी
हालत ने हात पकडा दिया
बेचारी क्या करती..जिंदगी निभाती चली गयी...!!!
- जिंदिगीको खयालोमे कुछ ऐसे देखा था
कभी फ़ुल तो कभी मोती पिरोया था
सामने जब आयी तो अलगही अंदाज था
बस एक बारही उसने पलट के देखा था!!!
- जिंदगीको समझने से क्या होता था
काश एक बार अपनेही आखो मे झाका होता
जिंदगी वही मिल जाती उन चमकती दुनिया्में
जो सपने देखकर मस्त रह्ती है अपनी दुनिया में...!!!!
- गम सहा न गया तो छलक पडी आखें..
सुख मे भी यही रवैय्या अपनाती है ये आखें
पता नही मै कब सिखुंगी सुख और दु:ख को
एकही पलडे में तोलना..!!!
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